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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action

उड़ते हुए जुल्फ

उड़ते हुए जुल्फ

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उड़ते हुए जुल्फों को देख रहा हूँ 

नखरों औ नजाकत को देख रहा हूँ 

संभलोगे गर मेरी नजरों के नजारों से 

हर पल ये हसीं ख्वाब देख रहा हूँ !


गुल औ गुलदस्ते की कहानी क्या हो 

फूल तो खिले पर निशानी क्या हो 

तुमको निहारूं या गुल्फाम को 

बागों के माली को चेत रहा हूँ !


आ जाओ कभी मिले हम ज़मीं पे 

पास आओ कभी बिछड़े नाजनीन के 

मुश्किल कहाँ अब जिगर को परखना 

बरसों से ऐसी मुस्कान फेंक रहा हूँ !!



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