उड़ते हुए जुल्फ
उड़ते हुए जुल्फ
उड़ते हुए जुल्फों को देख रहा हूँ
नखरों औ नजाकत को देख रहा हूँ
संभलोगे गर मेरी नजरों के नजारों से
हर पल ये हसीं ख्वाब देख रहा हूँ !
गुल औ गुलदस्ते की कहानी क्या हो
फूल तो खिले पर निशानी क्या हो
तुमको निहारूं या गुल्फाम को
बागों के माली को चेत रहा हूँ !
आ जाओ कभी मिले हम ज़मीं पे
पास आओ कभी बिछड़े नाजनीन के
मुश्किल कहाँ अब जिगर को परखना
बरसों से ऐसी मुस्कान फेंक रहा हूँ !!
