तू रहे तो लिखती रहूँ
तू रहे तो लिखती रहूँ
तू रहे तो लिखती रहूँ मैं,
तू नहीं तो शब्द नहीं
तू रहे तो हँसती रहूँ मैं,
तू नहीं तो ख़ुशी नहीं
तुझसे लड़के रोऊँ जी भर के,
तू नहीं तो आँसू नहीं
यूँ तो ज़िंदगी चलती रहे पर
ज़िंदगी में रवानी नहीं
तू नहीं तो यादें हैं तेरी,
थामे हुये हैं साँसें मेरी
कही अनकही बातें तेरी,
बन गयी कहानी मेरी
झूठे सच्चे वादे वो सारे,
अब भी भिगोते हैं तकिये के किनारे
एक हिस्सा तेरा बाकी है मुझमें,
उसको हरदम समेटती रहूँ
जब तक तुझको सँभाला है
खुद में तब तक मैं लिखती रहूँ