तू कभी सोचता क्यों नहीं
तू कभी सोचता क्यों नहीं


क्या है जीवन क्यों है जीवन तू कभी
सोचता क्यों नहीं
क्यों मिला है जन्म क्यों पैदा हुआ ये तन
तू कभी सोचता क्यों नहीं।
घूम जाती है बुद्धि देख कर ये आपाधापी
सुकून के दो पल भी नहीं अब तेरे पास
तू कभी सोचता क्यों नहीं,
पैदा हुआ है तू जैसे गुलाम बनने के लिये
सदियों गुलामी झेल कर जैसे तेरी
मानसिकता ही बदल गई तू कभी
सोचता क्यों नहीं,
आज बच्चों को शिक्षित तो किया जाता
है पैदा होते ही महंगे स्कूलों में ठूस दिया
जाता है तू कभी सोचता क्यों नहीं,
अब लगता जैसे पैसा और स्टेटस ही धैय
रह गया है तेरी जिन्दगी का सोचता हूँ तो
बड़ा अजीब सा लगता है तू कभी
सोचता क्यों नहीं,
संस्कृति को जैसे भुला दिया तूने
रामायण गीता को जैसे जला दिया तूने
कभी सोचता हूँ तो बड़ा अजीब सा
लगता है तू कभी सोचता क्यों नहीं,
चार शब्द अंग्रेजी के पढ़ कर सूट बूट
टाई लगाता है और अप टू डेट नौकर
कहलाता है कभी सोचता हूँ तो बड़ा
अजीब सा लगता है तू कभी सोचता
क्यों नहीं,
क्या हमारे पूर्वज गरीब थे या अनपढ़
लाचार फकीर थे कभी सोचता हूँ तो
बड़ा अजीब सा लगता है तू कभी
सोचता क्यों नहीं,
सोने की चिड़िया कहलाता था कभी
हमारा देश ये भारत अब यहाँ के भूखे
नंगे लाचारों की तस्वीर दुनिया में दिखाई
जाती है कभी सोचता हूँ तो बड़ा अजीब
सा लगता है तू कभी सोचता क्यों नहीं,
वर्षों अंग्रेजों ने खाया अब हमारे देश को
ये राजनीति खाये जाती है कभी सोचता
हूँ तो बड़ा अजीब सा लगता है तू कभी
सोचता क्यों नहीं !