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Bhavna Thaker

Tragedy

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Bhavna Thaker

Tragedy

क्या हूँ मैं सदा सुरक्षित यहाँ

क्या हूँ मैं सदा सुरक्षित यहाँ

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नयनों की कटोरी में छलकने को बेताब दो बूँद ढूँढ रही सुरक्षित दामन का टुकड़ा,

अंत स्थल के भीतर घूघवाते पड़ी वेदना को वाचा मिले सहज ले गर कोई, 

कहाँ पहुंच कर कहूँ, हाँ हूँ मैं सदा सुरक्षित यहाँ। 


आज़मा लिया हर कंधा किनाराकशी का सारा शामियाना निकला,

जमा किए थे जो सोना समझ कर वही सब कंचो का खजाना निकला,

किस के दामन पर बूँद चार टपकाते कहूँ ,हाँ हूँ मैं सदा सुरक्षित यहाँ।


पथ लंबा उम्र का संगी साथी नहीं कोई अकारण ही मैं उदास नहीं मौन ज़िंदगी सिसक रही,

मांग रही अपनों का साथ कैसे समझाऊँ नहीं कोई किसीका यहाँ,

कैसे मन मनाऊँ हाँ हूँ मैं सदा सुरक्षित यहाँ।


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