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Rajshree Satapathy

Abstract Tragedy

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Rajshree Satapathy

Abstract Tragedy

में गलत नहीं थी...

में गलत नहीं थी...

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हां मानती हूं मैं

थोड़ी सी नकचढ़ी हूं

थोड़ी सी गुस्से वाली भी,

बात बात पर मुंह फुलाकर

झूठ मुठ सी रूठने वाली भी।


झूठ बोलने की आदत तो नहीं,

सच भी कहां छुपाजाता है मुझसे ?

शायद तेरी तरफ ढल रहिथी

इसलिए लड़ती झगड़ती थी तुझसे।


हर झगड़ा दुश्मनी की नही होती 

कुछ प्यार के भी होते हैं,

तब पता लगता है प्यार की गहराई

जब दिल से दिल टकराते हैं।


रोक ना पाई तुझे जाने से 

शायद कमजोर मेरी किस्मत थी,

हुआ होगा तुझे मेरी हरकतों से नफ़रत

लेकिन में कभी गलत नहीं थी।


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