तानों में ढूंढती मैं तारीफ़
तानों में ढूंढती मैं तारीफ़
करके तुम बदहाल पूछते हो,
कैसा है अब हाल पूछते हो,
जानते हो तुम सब मगर,
फिर भी ये सवाल पूछते हो,
हिज्र का गम तुमने दिया है,
फिर सबब मलाल पूछते हो,
आरी से काटकर पैर मेरा
कैसी है अब चाल पूछते हो
जश्न मनाते हो गोश्त पर, फिर
क्यों हुई बकरी हलाल पूछते हो,
छोड़ा सर्दीली सड़क पर तुमने,फिर
चाहिए क्या एक शॉल पूछते हो,
उढ़ाकर सफ़ेद साड़ी तुम मुझे,
मांग क्यों नहीं है लाल पूछते हो
बुझाया घर का चूल्हा तुमने ,
भाव मालूम है क्या दाल पूछते हो।