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Sheetal Raghav

Tragedy Inspirational

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Sheetal Raghav

Tragedy Inspirational

मुआ मास्क

मुआ मास्क

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हे प्रियतम !


यह कैसा वक्त, 

आया आज है,

खुलकर बात भी नहीं कर पाते,

मुंह पर बंध गया,

यह मुआ मास्क आज है,


हे प्रियतम !

पता है तुम्हें, 

आज लिपस्टिक के नए रंगों,

की श्रृंखला,

 बाजारमें,

आयी आज है, 


हे प्रियतम ! 

यह कैसा वक्त का,

हम पर हो रहा प्रहार है,

हम पर हो रहा, 

कैसा अत्याचार आज है, 

अधर  रंगिनी,

भी लगा कर तुम्हें, 

दिखा नहीं सकते,

यह हम लड़कियों पर, 

हुआ वक्त का, 

प्रहार कैसा आज है?


हे प्रियतम!

कैसे मैं, 

तुम्हें,

लगा कर यह अधर रंगीनी,

तुम्हें दिखाऊं, 

जिसको बाजार से मैं अभी, 

जा कर लाई हूं, 


हे प्रियतम !

लिपस्टिक के नए

रंग सारे आऐ आज है,

कैसे हंसूँ, 

कैसे तुम्हें रंग दिखाऊ,

मुंह पर तो चढ़ गया, 

यह मुआ मास्क आज है


हे प्रियतम ! 

कब होगा खत्म, 

यह विषाणु, कीटाणु , 

जिसका हर तरफ, 

छाया हुआ आतंक आज है, 

जिसने छीन लिए, 

जीवन की खुशियों के रंग,

आज है,


हे प्रियतम!

ना खुल कर मुस्कुरा पाते हैं,

ना कहीं जा पाते ही हैं, 

हम आज है,


हे प्रियतम !

गोलगप्पे खाए, 

तो जमाना हो गया,

गोलगप्पे संग, 

गप्पे भी गई, 

वह खट्टा मीठा सा, 

स्वाद जीवन का भी गया, 

संग अपने जीवन का, 

खुशनुमा रंगीन, 

हसीन वक्त भी ले गया, 


हे प्रियतम !

अब तो सिर्फ, 

तुम्हारी आंखें ही देख पाती हूं, 

तुम मुस्कुराते हो, 

या मेरी बात पर,

मुंह फुला जाते हो, 

अब तो हम, 

कुछ भी नहीं देख, 

और समझ पाती हूं।

जब से आया, 

यह मुंआ मास्क लगाया है, 

लगता है, 

हम तुमको नहीं समझ पाते,

जब से चढ़ाया मुंह पर, 

यह मुआ मास्क आज है।



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