कुत्ता और इन्सान
कुत्ता और इन्सान
कुत्ते को इन्सान ने अपना पालतू बनाया।
दूध रोटी खिला प्यार से नहलाया सहलाया।
कुत्ते ने भी अपना कर्तव्य भरसक निभाया ।
मालिक के आगे दुम हिलाई औरों पर गुर्राया।।
आदिकाल से ही इनके चर्चे आम हुए ।
पाण्डवो संग हिमालय पर भी गला ।
लेकिन संगति से कुत्ते मे अच्छाई आई ।
पर मनुष्य ने कुत्ते की बुराई अपनाई।।
मनुष्य मनुष्य को स्वार्थ की खातिर ।
कुत्ते सा बेवजह ही काटने लगा ।
गलती हो चाहे स्वयं की भले पर ।
वह घमंड मे औरो को डांटने लगा ।।
प्यार उपकार दया त्याग दी भलाई ।
बिन कारण कुत्ते सी की है लडाई ।
सम्बन्धो मे नष्ट हुई उसके मिठास ।
रह गया उसका न अब कोई खास ।।
हे प्रभु दूर करो मानव से पशुता को ।
दूर हो बुराई लाओ जीवो में समता को ।
मन के विकार सब एक एक नष्ट हो।
खुश हो सभी दुख किसी को न कष्ट हो ।।
