तुमसे कहनी है जो बातें
तुमसे कहनी है जो बातें
आंखों में सिमटे जो कुछ अश्क हैं उसे पिरो दो न
होठों पर रुके हुए जो कुछ शब्द है उसे भिगो दो न
सुना के अपनी दास्तां मेरे दिल को सुकूं दो न
कहते है तुमसे सुनाओ न जीवन की गाथा
बस इसी आश को संजो दो न।
लिख के लकीरों के कहानी
कह दो तुम सब कुछ अपनी ज़ुबानी
हाल ए दिल की बात से सिमटी है
जीवन की बीती हर एक रवानी
उन्हीं हालातों को, अपने जज्बातों को कह दो न।
सुना के अपनी दास्तां मेरे दिल को सुकूं दो न
थाम के दिल को बैठे हैं सहम के आइने के सामने
बता के अरमानों की बारात
मेरे मन को कुछ पल के लिए भर दो न।
कहते कहते जज्बात अपने अश्कों से रुख़सत दो न
जो अरसों बरसों की आपबीती है
उसे मुझसे जोड़ दो न
कह के कहानी अपने जीवन की
मुझे एक शहर दो न खुद में बसर दो न।
लड़खड़ाए होंगे तुम्हारे कदम जी कभी
गिर के संभलें होंगे जो पल कभी
सारी बातें मुझसे कहा दो न
सुना के अपनी दास्तां मेरे दिल को सुकूं दो न।
हर कदम उठाया होगा
बहुत सोचा होगा
फिर आगे बढ़ाया होगा
बहुत कुछ समझ सोच के तुमने
अपने अश्कों की मोती को भी गिराया होगा।
कसक दिल मे भर के भी
अपनों को समझाया होगा
जो खुद नहीं समझी होगी
वहीं सबसे जताया होगा।
पिरोया होगा फूलों की तरह
सींचा होगा खून पसीना बहा कर
कुछ ऐसे ही तुमने
जीवन को भी आइना दिखाया होगा
एक बार फिर कहते हैं कह दो न।
अपनी हालातों की सिली बोरियों की तह खोल दो न
सुना के अपनी दास्तां मेरे दिल को सुकूं दो न।