तुमने सीखा दिया
तुमने सीखा दिया
वो दुग्ध-धवल चाँदनी रात में,
देखा था तुम्हें पहली बार।
तुम अंजान थे मुझसे मगर,
मैं तुम्हें देखा करती थी बार-बार।
तुम्हारी हल्की-सी मुस्कान की खातिर,
मैं खुशियाँ वार दूँ हजार बार।
साधारण से थे तुम फिर भी मुझे भा गये,
शांत था चित्त मेरा तुम धड़कन जगा गये।
ऊँची पहाड़ियों पर हम मिले थे पहली बार,
ठंडी थी वादियाँ वहाँ की कुछ तुमने कही,
कुछ हमने कही।
चाहा मुझे बहुतों ने पर मैंने चाहा तुमको,
मानवीय मन की उलझी नितांत चाहत से
तुमने निकाला मुझको।
असामान्य से सामान्य बनाया मुझको,
बेमतलब-सी थी जिंदगी मतलब सिखाया उसको।
सम्मान प्रेम का करना तुमने बतलाया मुझको,
वो दुग्ध-धवल चाँदनी रात आज भी याद है मुझको।

