तुम्हें देखकर
तुम्हें देखकर
रुक गया राहों में, मैं उनका इजहार देखकर,
दिल उनके नाम किया उनका प्यार देखकर,
तेरी यादों का ये मौसम आज सुहाना हो गया,
मन की बगिया में खिले हुए फूलों को देखकर,
दिल के हाल को प्रेम पत्र पर लिख दिया हमने,
वो मंद- मंद मुस्कुरा रहे हमारा पैगाम देखकर,
नजर में फूल महके और दिल में समा जल गई,
दिल धड़क रहा आज उन्हें महफिल में देखकर,
सच कहते अब न जिंदगी गुजारेगी उनके बगैर,
जिंदगी गुजर रही, जी रहे हम बस उन्हें देखकर,
मेरे अधूरे -अधूरे से ख्वाबों के तुम किताब हो,
हर सवालों के जवाब मिल जाते तुम्हें देखकर
बांध लिया था तुमको जब मैंने निज बांहों में,
मेरी सुध -बुध ही ना रहती कभी तुम्हें देखकर,
नभ दामिनी गरजे, मेघ बरखा बन बरस रही,
बरसात की बूंदों में अहसास हुआ तुम्हें देखकर,
आंखें मेरी बरस उठी और चाह मेरी तरस उठी,
प्रेम से मिलने को हुआ मैं आतुर तुम्हें देखकर II