तुम्हारी यादें..
तुम्हारी यादें..
ये यादें हैं ना तुम्हारी....
ये दीवार पर टंगी
कोई तस्वीर नहीं
जो पसन्द ना आये तो
दूसरी लगा दी...!
या फिर..
जब जी चाहा बदल दिया;
और...
मनपसन्द की कोई
तस्वीर फिर लगा दी..!
ये तुम्हारे साथ गुज़रे
वो यादगार लम्हें हैं
जिस पर मेरी ज़िंदगी टिकी है...!
नींव हैं ये यादें..
मुझे चलाते रहने की
इनसे पहले तो
ज़िंदगी बंजारों सी थी
तुम क्या आये
ये तो....!!