तुम्हारी आँखों में
तुम्हारी आँखों में
करता हूँ इजहार तुम्हारी आँखों में ।
चाहत का हर बार तुम्हारी आँखों में ।।
कितना कह लो प्यार नही है तुमको, मैं ।
देख रहा हूँ प्यार तुम्हारी आँखों में ।।
झील नहीं है सागर है हाँ माना पर ।
है करुणा की धार तुम्हारी आँखों में ।।
हम दोनों के सपन सलोने बैठे हैं ;
बैठा है संसार तुम्हारी आँखों में ।
मोल अमोल तुम्हारा फिर भी दिखता है ;
मेरा भी अधिकार तुम्हारी आँखों में ।
जिसको चाहो जो कर डालो जागा है ;
एक नया फनकार तुम्हारी आँखों में ।
लब कब तक खामोश रहेंगे, देखा है ;
चाहत का अधिकार तुम्हारी आँखों में ।