तुम्हारा होना चाहता
तुम्हारा होना चाहता
तुम्हारी नींदों में घुल जाऊँ
ख्वाबों का सिला चाहता
लफ्जों में शामिल हो जाऊँ
मैं नग्मों का सार चाहता
दीवानगी सबकी होती एकसमान
मैं मिल रूह में तुम्हारे
एक पवित्र पनाह चाहता
जुल्फों में बसेरा कर जाउँ
बाहों में सवेरा चाहता
लबों पे मिश्री सा भूनू
मैं तुम्हारे कंठ तक सवरना चाहता
सांसों में रंग मिजाज अपनी
एक उद्दीप्त उजाला चाहता
बन कलम हाथ की तुम्हारी
स्पर्श का अनमोल अहसास पाना चाहता
कितना भी हो गीले शिकवे हजार
मर मिट मैं तुम में जिंदा होना चाहता
रगों में दौड़ लहू सा
तुम्हारे कोख से जन्मा खुद को शिशु कहता
बस बन जाउँ उम्र भर तुम्हारा
मैं माँग में सिंदूर भरना चाहता
सँघर्ष कि डोर पकड़ ताउम्र पा लू तुम्हें
एक तुम्हारे प्रेम के लिए सौ बार मरना चाहता
धड़कन सा उम्मीद बन
तुम्हारे आसमां का जस्ता चाहता
बन कामिल सा कभी
मैं तुम्हारे गोद मेें अंत तक सोना चाहता।

