तुम कहाँ जा रहे हो
तुम कहाँ जा रहे हो
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो समय का
थमना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो सांसों का
बहकना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो होंठों का,
चहकना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो गले लग,
धड़कनो का सुनना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो तुम्हें,
महसूस करना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो
जरा ठहरो,
अभी तो तुमसे लिपट,
आंखो का नम होना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो तुमसे,
मेरा खोना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो इस पत्थर को,
'नीर' बन बहना बाकी है।
तुम कहाँ जा रहे हो,
जरा ठहरो,
अभी तो, दो आत्माओ का,
संगम बाकी है।