तुम बिन
तुम बिन
तुम बिन...जिया जाए ना
तुम बिन...रह पाए ना
तुम बिन...यह दिल भी धड़क नहीं सकता
तुम तो...हो जैसे किरण जिससे...
मुझे मिलती सुबह कैसे...
फिर मुझको बता रात निकले कैसे मेरी...
तुम बिन... तुम बिन... तुम बिन।
काजल से भरे नैना तुम्हारे,
दिखाये ख़्वाब सांझ सवेरे
रोशन होते हैं ये सितारे,
चमकने पर इन आँखों के तुम्हारे।
कुछ तो है रिश्ता तेरा-मेरा,
जो तूने मुझको है देखा,
यह धड़कन बिन रुके चलती जाती रही
इन्हीं हवाओं में जो साँस लेता हूँ मैं
महकने लगा...तुम बिन...दर्द के घटाएँ छाई यहाँ...
तुम बिन... अंधेरा है सब जगह
तुम बिन...ये साँसे भी भरी नहीं जाती
तुम ही...मेरी हो आरज़ू,
मेरी हो जुस्तजू...मेरी हो हर दुआ...
तो मुझको...तू ही ये बता ख़ुदा से माँगा मैंने है क्या...
तुम बिन...तुम बिन...तुम बिन।।
सूरत तेरी इतनी सुहानी
मूरत है मुझे इसकी बनानी,
दिल में हमेशा है इसको बैठाना,
मरते पल भी इसे याद करके ही मर जाना।
यादों में, ख़्वाबों में...
और हर जगह दिखता है बस तेरा चेहरा।
तुमसे मांगूँ बस इतनी सी मोहलत,
करूँ जिसमें मैं तुम्हें खूब मोहब्बत,
तेरा ही मेरा है सब,
तू ही बन गया मेरा है रब।
कब तक दूर मुझसे रहोगी,
कभी तो बोलो क्या तुम मुझे मिलोगी।
आहट सुनने को तेरे तरस जा रहा हूँ,
चाहत में तेरे मिटता चला हूँ...
तुम बिन...मंज़िल कुछ भी नहीं
तुम बिन...रूह तड़पने लगी है ये काँप उठी
तुम बिन...जीना भी मुश्किल है लगता
तुम से...ही निशान मेरी...
तुम में...है मेरी हर राज़ छिपी...
तुम ने...मुझे जो आवाज़ दी...
तो तू ही बता क्या पुकारे सदाएँ
तुम बिन...तुम बिन...तुम बिन।।
तुम बिन...कुछ भी नहीं
तुम बिन...है सूनी मेरी हर घड़ी
तुम बिन...है जिस्म यह पर इसमें जान नहीं
तुम हो...रब से तोहफ़ा मेरा...
तुम ना...तो उससे ही ये मेरी सज़ा...
फिर क्या...हो उस रब से इबादत मेरी...
तू ही बता
तुम बिन... तुम बिन..तुम बिन।।

