तुझे पा न सका
तुझे पा न सका
तुझे पा न सका, न भुला ही सका।
हाल-ए-दिल ये किसी को सुना न सका।।
बेपनाह इश्क़ था,सच यही है सनम।
दर्द बढ़ता गया,न हुआ फिर ये कम।।
ज़ख्म ऐसा कि मरहम लगा न सका।
हाल-ए-दिल ये किसी को सुना न सका।।
हम गिरते गये,यूँ गिराते गये।
एक दूजे के नज़दीक आते गये।।
कुछ दीवारें थी जिसको गिरा न सका।
हाल-ए-दिल ये किसी को सुना न सका।।
खुद मिटते भी हैं, ये मिटाते भी हैं।
इश्क़ कैसा है खूँ भी बहाते भी हैं।।
मैं रो के भी आँसू बहा न सका।
हाल-ए-दिल ये किसी को सुना न सका।।
तुझे पा न सका, न भूला ही सका।
हाल-ए-दिल ये किसी को सुना न सका।।