टूटी ख्वाहिश और बेइंतहा मोहब्बत
टूटी ख्वाहिश और बेइंतहा मोहब्बत
वो पहली दफा जब किसी ने दिल को छुआ,
बिखरी हुई थी में उसे देख निखर सी गई।
पता नहीं थी जिंदगी किस मोड़ पर जा रुकेगी।
ना था पता उसे, एक बावरी उसके प्यार में भी बनेगी।
उसकी खिलखिलाती हंसी पर मेरा भी चहक जाना।
उसकी बेतुकी बातों में मेरा भी यूं खो सा जाना।
क्या पता था वो पहली बार का बेहद ही खूबसूरत अहसास
सिर्फ सीने में ही रह जाएगा।
हाँ वो मुलाकात जैसे बस पहली बार की ही बनकर रह जाएगी।
होता है जैसे उस वक्त दिल सबसे ज्यादा बेकरार,
हाँ होती है जिसमें सबसे ज़्यादा बचपने वाली हरकतें।
वही तो होता है पहली बार वाला प्यार।
पहली बार देख किसी को ना रहते खुद के आपे में जैसे हम,
वो पहली दफा होता है, जब दिल खुद का होकर भी खुद का नहीं रहता है।
अगर मिल जाए पहला प्यार तो जिंदगी अपनी सी लगती है,
पर एसी किस्मत कहां सबकी होती है।
पहली दफा वाला प्यार सिर्फ खुद तक ही रहता है,
फिर वो ताउम्र सीने मे ही दब कर रह जाता है
और ना चाहते हुए भी जीना सीखा देता है,
लबों पर मुस्कराहट ला देता है
और एक टूटी ख्वाहिश और बेइंतहा मोहब्बत के साथ जीना सिखा देता है।