डियर २०२०...
डियर २०२०...
डियर २०२० तू आया तो बहुत ही जोरों शोरों से था...!
लेकिन आते ही तूने शुरुआत से ही बहुत कुछ
सिखाना शुरू कर दिया...!
तू कोरोना जैसी भयानक महामारी जो ले के आया...!
तूने कहीं किसी को बेरोजगारी दी,
तो कहीं किसी को आत्महत्या करने पर मजबूर किया,
कहीं ना कहीं कितने घर उजाड़े,
कहीं तूने अपनों को अपनों से ऐसे दूर किया की
कभी उसे मिल ना पाए,
कहीं तूने लोगों के मन में ऐसा डर पैदा किया की
वो इतना तनाव में घिर गया के जीना मरना दोनों ही
मुश्किल कर दिया...!
लेकिन हां , तूने सिखाया तो बहुत कुछ...!
तूने सही मायनों में अपना कौन है समझाया...!
तूने आध्यात्मिकता का बोध कराया...!
तूने खुद में छूपे हुए हुनर को जगाया...!
तूने हर त्यौहार में बता दिया की हम सादगी से भी
अपनी खुशी दिखावे बगर मना सकते है...!
तूने तो फास्ट फूड को जैसे दूर करके
घर के खाने की अहमियत बताई...!
तूने असली परिवार का प्यार समझाया...!
भले ही चारों तरफ नकारात्मकता है
लेकिन दवाई सिर्फ सकारात्मकता ही है वो बताया...!
तूने तो खुद से ही नहीं खुदा की तरफ जाने वाले हर रास्ते खोल दिया
जैसे जाना चाहे अब वो इंसान को समझना है...!
तूने तो इस साल में सबसे बड़ी सिख दी है जो शायद पहले नहीं मिली...!