२०२१...!
२०२१...!
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२०२१...!
कुछ साथ है, कुछ ने साथ छोड़ दिया...!
कहीं पराये अपने से बन गए, कहीं अपने पराये लगने लगे...!
कईयो के चहेरे के नकाब हट से गए, तो कहीं पर सच्चे रिश्ते मिल गए...!
कहीं बेरंग लगने वाले रिश्तों में रंग सा चढ़ गया, तो कहीं बहुत ही करीब के रिश्तों का रंग उड़ सा गया...!
कहीं रास्ते में बहुत सी ठोकरें मिली, परंतु हर ठोकर के साथ ना भुलनेवाले तजुर्बे भी हुए...!
सब मिलाकर २०२१ के आखिरी दिन साथ निभाने वालों का शुक्रिया और साथ छोड़ने वालों का बहुत - बहुत शुक्रिया...!