राधा-कृष्ण...!
राधा-कृष्ण...!
कृष्ण जैसे प्रीत की आस किसको ना होगी...!
राधा बनने की चाह किसे ना होगी...!
राधा-कृष्ण की कहानी रही अनोखी है...!
इसमें कहीं ना हार ना जीत है...!
कृष्ण ने भले ही कितनी भी गोपियां क्यूं ना बनाई...!
फिर भी राधा ही उसके मन को भाई है...!
कहते हैं ना आसमां में कितने ही तारे क्यूं ना हो...!
पर चांद की कमी किसी से भरपाई ना हुई...!
बस ऐसे ही कुछ कृष्ण के लिए राधा छाई...!
राधा-कृष्ण की जुदाई ने ही उनके प्रेम की कहानी रची...!
राधा ने भी खूब दुख झेले इसलिए तो कृष्ण के नाम के आगे भी राधा समाई...!