टिकोले
टिकोले
अमिया की डाली झूमें
यौवन से भरे गदराए
मालदा, चौसा, मीठुआ
झुके हुए धरा को चूमें।
शहंशाह जो फलों के
लाल पीले कभी हरे
रूप मोहक स्वाद रसीले
मुख में जाकर रस ही घोले।
देते दर्शन कुछ ही महीने
वर्ष भर याद में तेरे
गुजरते नहीं रैन मेरे
आम रस, अमावट सुहाने।
कच्चे हरे टिकोले चटपटे
चटनी अचार खट्टे मीठे
आम एक रूप अनेक
जो भी खाए भूल न पाए।