ठीक वैसे ही..
ठीक वैसे ही..
वो वाली, ये वाली, बगल वाली, या साइड वाली,
जिसको तुम देख कहते हो न,
ऐसे ही तुम्हारे घर वाली औरतों को भी
कोई मर्द देख कहता होगा,
लाल सी कभी पीली सी या नीली सी,
जिस ब्रा स्ट्रैप को देख तुम घूरते होना न,
ठीक वैसे ही तुम्हारे घर की औरतों को भी
देखकर कोई मर्द घूरता होगा,
माल है, अंगार है, ज़हरली चाल है,
ये सारी उपाधियां तुम देख किसी को देते हो न,
बस उसी सलीके से तुम्हारी घर की औरतों को भी
ऐसी ही उपाधियां कोई न कोई मर्द देता होगा,
कहीं छाती पर झांककर तो
कहीं कमर पर हाथ घुमाकर ऐसे तुम बेकाबू होते हो न,
वैसे ही तुम्हारी घर की औरतों को भी
देख कोई मर्द बेकाबू होता होगा..!!!