मगर लोग चुप हैं
मगर लोग चुप हैं
बाशिंदों से उनका घर छीन लिया गया,
मगर लोग चुप हैं,
सोची समझी साजिश रच के जिन्दा लोगों को फूंक डाला गया,
मगर लोग चुप हैं,
खुले आम सड़क पर एक महिला को नोच उसको रौंद डाला गया,
मगर लोग चुप हैं,
क्या मजाल की आप हुकूमत की निंदा कर लें जिसने भी किया उसको भरे बाजार में ठोक दिया गया,
मगर लोग चुप हैं,
जनता के खून से महंगाई दर की कीमत को लिख डाला गया,
मगर लोग चुप हैं,
सादे पर्चे पर किसी को मुर्दा तो किसी को जिंदा कर दिया गया,
मगर लोग चुप हैं,
नदियों में अनगिनत शवों को फेंक डाला गया,
मगर लोग चुप हैं....