STORYMIRROR

Shweta Mishra

Tragedy

4  

Shweta Mishra

Tragedy

बिट्टी

बिट्टी

1 min
426


छोटी सी थी वो,

महज़ आठ साल की,

जुबान कभी उसकी लड़खड़ा सी जाती,

अभी कहाँ अपने आप को पहचानती थी वो,

वो आदमी उसे जानता था,

बचपना था उसकी हरक़तों में,

मगर उस हैवान को बिट्टी में अपनी हसरत नजर आने लगी,

उस लड़कपन सी बुद्धि को वो कभी चॉकलेट देता या कभी अपने पास बुला उसे छू लेता,

बिट्टी को नहीं समझती उसके साथ ये क्या और क्यों हो रहा है,

एक दिन उसके नाजुक,कोमल से अंगों को नोचकर कुरेदते हुए वो भाग गया, 

निरदायीयता के साथ उसे किसी कोनें में फेंक कर वो चला गया,

मगर बिट्टी में अभी जान बाकी थी,

सर्जरियों के बाद भी उसमे जीने की एक आसार बाकी थी,

वो तो ज़िन्दगी से लड़ती,नादान सी सोच में पड़ती,ठीक हो जाऊंगी

बस अब अंकल से चॉकलेट भी नहीं लूँगी ना उनके पास जाऊंगी,

मम्मी को अब मना कर दूँगी मुझे चॉकलेट नहीं पसंद,

बस इस दर्द से अब बचा ले माँ मुझे,

इस रोज रोज के कहराव को जरा सा ठहराव दे,

इस बहते हुए खून को डॉक्टर अंकल से कह कर रुकवा दे माँ बचा ले मुझे,

मेरा दोष क्या है बस इतना बता दे मुझे?


સામગ્રીને રેટ આપો
લોગિન

Similar hindi poem from Tragedy