बेटियां
बेटियां
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जिसको बचपन से बनाया जाता है,
तहजीब में रहो ये उसको सिखाया जाता है,
एक उम्र तक उसका ख्याल रखा जाता है,
उसके बाद तो सिर्फ उस पर नजर रखा जाता है,
किसी से ज्यादा हंस बोल ना ले,
इसके लिए उसको धमकाया जाता है,
जिस बेटी बहन मां के जिस्म से हमको पोषण मिलता है,
इस समाज में हर वक्त उनका शोषण होता है,
न्यायपालिका ने हक आज़ादी सभी आधिकारों को दे दिया है,
मगर यह सामाजिक मानसिकता के सोच वाले न्यायपालिका से वंचित क्यों कर दिया गया है,
आज के इस प्रगतिशील आधुनिकीकरण में भी महफूज नहीं हैं,
क्या जब बात आप बीती होगी तभी समझ आएगी क्या होती हैं बेटियां..?