आसमान
आसमान
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सबका अपने अपने हिस्से का आसमान होता है,
जिसका वो बेसब्री से इंतजार करता है,
ऊपर देख कर वो अपने सपनों को बुनता है,
ढूंढता है वो अपने आप को नीले आकाश के भीतर
कुछ पुरानी यादों को भुलाता है तो नए विचारों के साथ वो आगे बढ़ना चाहता है,
अपने हिस्से के आसमान में वो आज़ाद होता है
जहां तक नजर पड़ती है वो उसकी सर जमीं होती है,
आसमान में उड़ते पंछी, बादलों की हलचल, मिजाज बदलता सूरज आसमान से बरसती बरखा निशा में इठलाती हुई चंद्रमा इन सभी दृश्यों में सबका अपने हिस्से का एक वजूद होता है,
सबका अपने अपने हिस्से का आसमान होता है..!
