टेक्नोलॉजी के पहलू
टेक्नोलॉजी के पहलू
दो लोगों की सुनो कहानी,
रहते थे वो समानांतर दुनिया में,
एक के जीवन में भरी टेक्नोलॉजी,
दूसरे ने सुना था जिसे कहानियों में।
एक का जीवन मेहनत से दूर,
सारा काम मशीनों का,
पल में यहाँ, पल में वहाँ,
घूमें बेफिक्र परिंदों सा।
दूसरा जीवन तकलीफों से भरपूर,
लकीरें घिस गई काम करते,
अपनों से मिलने को जिसके,
राह लंबी, पर पैर न थकते।
एक को सबकुछ मिला,
पर कुछ खो गया तकनीकियों में,
पूरी दुनिया से जुड़ गया पर,
हो गया दूर अपनों से।
दूसरा ख्वाब बुने उड़ने के,
कैद लगे उसे पूरी दुनिया,<
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पहुँचना चाहे बादलों के ऊपर,
जो संभव न था तकनीकी के बिना।
कहीं कंठ मौन हुआ,
सुनकर गाड़ी के इंजनों का गान,
किसी की पूरी रात काली,
ना बिजली के बल्ब, ना रोशनी का दान।
कोई प्रगति में गोते लगाए,
कोई चाँद, तारों को पकड़ना चाहे,
ना सुकून मिला पहले को,
ना दूसरे को चैन आए।
कश्मकश में बंधे दोनों,
नज़रिए दोनों के सही,
तकनीकी दुनिया जितनी लाज़िमी,
अनिवार्य सुख का जहान भी।
जैसे नदी बहने के लिए,
दो तीरों के बिना अधूरी है,
एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए,
आज टेक्नोलॉजी भी जरूरी है।