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kanksha sharma

Others

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kanksha sharma

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भूले हुए पल

भूले हुए पल

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चंद दिन बचे है, ये साल भी गुजर जायेगा,

हर बार की तरह बीता समय, नज़र से उतर जायेगा,

कहते है लोग, यादें रह जाती है जहन में,

मैंने देखा है , लोग भुला देते है ज़िन्दगी की उलझन में। 

कहीं पहुँचने की चाह, दूर कर देती है घर की राह,

कुछ पाने की ललक , दे जाती है खोने की तड़प,

जो कहते है हर कदम साथ रहेंगे , बसंत -बहार या पतझड़ में,

मैंने देखा है, लोग भुला देते है ज़िन्दगी की उलझन में। 

साथ चलते-चलते कब दूर हो गए,

पता ही ना चला, इतने मज़बूर हो गए,

बयां करे या चुप रहे हम, रह गए इसी कशमकश में,

मैंने देखा है, लोग भुला देते है ज़िन्दगी की उलझन में। 

हँस कर साथ बिताई हुई, कोई शाम भी अब याद नहीं,

जिसे सुनकर सुर्ख हो गाल, वो नाम भी अब याद नहीं,

अब सिर्फ खुद को पाना है, अपनी पहचान बनाना है,

क्योंकि लोग भुला देते है, ज़िन्दगी की उलझन में।


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