तोडा क्यूँ
तोडा क्यूँ
मैने तो नहीं तोड़ा था
मैने तो सदा जोड़ा था
माफिक नहीं हूँ जानकर
तुमने ही क्या छोड़ा था ?
आसमां पाकर क्या मिला
ज़िसे चाहा वो तो ना मिला
मनहूस तू है य़ा फिर वो
वफ़ा का सिला ये मिला !
अफसोस कोई क्यूँ करे
मदहोश हो क्यूँ कोई मरे
आज़मा लिय़ा तुमने कभी
ज़मीं पर तेरा सेहरा मिला !
अब तो समर होगा सही
अब तो सहर होगा वही
क्या गुफतगु फितरत तेरी
मिट जायेगा जो था मिला !!