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तो मैं पागल ही हूँ !

तो मैं पागल ही हूँ !

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अगर दूसरों की खुशी में

अपनी खुशी ढूंढना पागलपंती है,

तो पागल ही हूँ मैं।


अपने लाख दुःखों को छिपाकर

हमेशा मुस्कुराते रहना,

किसी दुःख में दुखी होने के बजाए

उनके होठों पे हँसी लाना,


हमेशा उनकी मजबूती का

एहसास दिलाना पागलपंती है,

तो पागल ही हूँ मैं।


किसी के बहकावे में न आकर

अपने मन की करना,

हजार लोगों के बजाए

सबसे ज्यादा खुद की इज्जत करना,


किसी को बुरा लगने के डर से

अपने दिल की बात

दिल में रखना पागलपंती है,

तो पागल ही हूँ मैं।


बात-बात पे दोस्तों से लड़ना

उनकी टाँगे खींचना,

अपनों के सपने पूरे करने को

खुद के सपनों को

तील-तील मरते देखना,


फिर सारे गमों को भुलाकर

छोटी-छोटी बातों पर

खुश होना पागलपंती है,

तो पागल ही हूँ मैं।


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