तनहा
तनहा
तनहा
अपनी ही तस्वीर से पूछा मैंने
बड़े मुस्कुराते नज़र आते हो तनहा
ये उदासी कैसे छुपाते हो तनहा।
बहुत दम है तुम्हारी शाखों में, पर
मौसम से पतझड़ नज़र आते हो तनहा।
सुना है चल रही बहुत तेज़ आंधियां
कैसे अपनी नीव पर खड़े रह पाते हो तनहा।
जिनसे की मोहब्बत वो सब कहा गए
इस गम से गमगीन उदास नज़र आते हो तनहा।
लगता है कोई तस्सली बची नहीं है
तभी उनकी याद में नासाज़ नज़र आते हो तनहा।
चालों मैं ही हाथ थम लेता हूँ तुम्हारा
अब तन्हाई में सुनते अपनी आवाज़ नज़र आते हो तन्हा।