तन्हा तन्हा ज़िन्दगी
तन्हा तन्हा ज़िन्दगी
तन्हा तन्हा ज़िन्दगी यूँ ही गुजरती है
जाने क्यों, हर एक मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती है?
आजमाइशों की बस बरसात होती है
जाने क्यों, नसीब मोहब्बत का ऐसा इम्तिहान लेती है?
मेरी ज़िंदगी अब नाउम्मीदी है यहाँ मौसम नहीं बहारों के
मेरे लबों ने पिया है जो ग़म उसका जिक्र नहीं किताबों में
ख़्वाबों में ही बस उनसे बात होती है
जाने क्यों, नसीब मोहब्बत का ऐसा इम्तिहान लेती है?
तरसती शाम, तन्हाई है, मुझे चैन अब दर्द की पनाहों में
उसे भूलूँ कैसे? उसकी तस्वीर तो समाई दिल की दीवारों में
तरसाती है जुदाई हर पल ज़ख्म देती है
जाने क्यों, नसीब मोहब्बत का ऐसा इम्तिहान लेती है?
फिल्म का नाम- गैंगस्टर
गाना - लम्हा लम्हा दूरी यूँ पिघलती है