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Tanmay Mehra

Tragedy

5.0  

Tanmay Mehra

Tragedy

तिरंगे में लिपट कर तुमने

तिरंगे में लिपट कर तुमने

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पापा आये सरहद पार से

माँ की आँखें रोई है

तिरंगे में लिपट कर तुमने

सुधबुध अपनी खोई है।


पावन हो गयी धरा मेरी

तुमने जो सीने पर गोलियाँ बोई है

माँ मेरी बेजान पड़ी है

कैसी ये बेदर्द घड़ी है।


माँग का सिन्दूर मिटा है

हाथ की चूड़ियाँ भी टूटी पड़ी हैं

माँ का तो अब हाल बुरा है

बड़ी बहन भी बिलख पड़ी है।


लगी आँखो से असुवन की झड़ी है

पर तेरी सहादत सब से बड़ी है

गर्व है मुझे तुम पर

ये लड़ाई जो तुमने लड़ी है।


मेरी धड़कनों में है खून तेरा,

फिर भी तेरी कमी

मुझे पल पल पड़ी है।


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