बात समझने की है यारों बचपन ऐसा ही होता है। बात समझने की है यारों बचपन ऐसा ही होता है।
इस रस्म को भी पूरा करने में कोई भी टोके ना। इस रस्म को भी पूरा करने में कोई भी टोके ना।
अब तेरे आंसुओं की कीमत वसूलने की घड़ी है। अब तेरे आंसुओं की कीमत वसूलने की घड़ी है।
मेरी धड़कनों में है खून तेरा, फिर भी तेरी कमी मुझे पल पल पड़ी है। मेरी धड़कनों में है खून तेरा, फिर भी तेरी कमी मुझे पल पल पड़ी है।
बंधे हैं पंख उसके हाँ समाज उसे विधवा कहता है। बंधे हैं पंख उसके हाँ समाज उसे विधवा कहता है।
अब आख़री आँच से भस्मीभूत ही कर दो मेरा अस्तित्व कि तुम निजात पाओ मेरी ख़्वाहिशों से। अब आख़री आँच से भस्मीभूत ही कर दो मेरा अस्तित्व कि तुम निजात पाओ मेरी ख़...