अब आख़री आँच से भस्मीभूत ही कर दो मेरा अस्तित्व कि तुम निजात पाओ मेरी ख़्वाहिशों से। अब आख़री आँच से भस्मीभूत ही कर दो मेरा अस्तित्व कि तुम निजात पाओ मेरी ख़...
सलाखें बंदिशों के तोड़ आई थीं कभी तुम भी, सलाखें बंदिशों के तोड़ आई थीं कभी तुम भी,
तरस रही हैं आँखें बिन तुम गुल भी बनीं चुभती सलाखें तरस रही हैं आँखें बिन तुम गुल भी बनीं चुभती सलाखें