तेरी याद
तेरी याद
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मेरी जेब में रखा हुआ मेरा सैल फोन जब कभी आवाज़ देता है
तब मेरी धड़कने ना जाने क्यों बढ़ जाती है
मेरी बेबस आँखे तेरे नाम का ज़िक्र करने लगती है
में जानता हूँ कि वो नाम अब शायद ही देखूंगा
मगर ये आँखों और धड़कनों को कौन समझाए जनाब
बेबस है , किसी के इंतजार में है
बस नम होना सीखा है इसने, कहीं गुम होना सीखा है इसने
मुस्कुराहट की महफ़िल में आना जाना तो था हमारा
मगर क्यों अब में इन्हें अनजान सा लग रहा हूँ
शायद में वो शक्स ही नहीं जो हसा करता था
अब तो में बस जीने के लिए सांस ले रहा हूँ
दिल के तराजू में कहीं ये गम बांट रहा हूँ
हसीन लम्हों में तुझे बसाया है मैंने
इस तरह खुद को जीना सिखाया है मैंने
अब ख्वाबों में ही आ जाना कभी राह भूलकर
भूल जाऊंगा की तेरी दूरियों ने कितना सताया है मुझे