तो मैं शायद चुप रहता
तो मैं शायद चुप रहता
तेरी खामोशी अगर टूट जाती,
तो मैं शायद चुप रहता।
तू जरा मुस्कुराती,
तो मैं शायद चुप रहता।
तेरे मोती बने आंसू
रुख पे ना आते
तो मैं शायद चुप रहता।
तू सुनहरे ख्वाबों के
समुंदर में गोता खाती
तो मैं शायद चुप रहता।
तू बनके घटा
घनघोर छा जाती
तो मैं शायद चुप रहता।
तू मेरी सौगात ना ठुकराती
तो मैं शायद चुप रहता।
तू मेरी आवाज पर सिर उठाती ।
तो मैं शायद चुप रहता।
तू खुद हंसती और मुझे हंसाती
तो मैं शायद चुप रहता।
तू कल का वादा करके
आज ना आती
तो मैं शायद चुप रहता।