तेरी प्रतीक्षा में
तेरी प्रतीक्षा में
खूब प्रतीक्षा हमने कर ली,
अच्छे दिन के आने की।
चला गया बेटा विकास,
बेटी महंगाई आ धमकी।।
रोज रोज बेटी महंगाई,
रूप बदलकर आती है।
इसको बेचा उसको बेचा,
राहत नज़र न आती है।।
कब तक करें प्रतीक्षा तेरी,
कब आएगी रोजगारन।
बूढ़ी हो रही शिक्षा, डिग्री,
उमर गई तेरे कारण।।
बहन महामारी कोविड ने,
ऐसा परचम लहराया है।
उसके जाने की प्रतीक्षा में,
दो दो वर्ष गँवाया है।।
कॉलेज, स्कूलों पर भी
बहन महामारी के हाथ।
शिक्षक, छात्र नदारद हो गए,
कभी न दिखते दोनों साथ।।
राजा बाबू कुर्सी खातिर,
सब तिकड़म अपनाते हैं।
कड़वा, मीठा और चटपटा,
भाषण की चाट खिलाते हैं।।
आयु घट रही वर्ष बढ़ रहे,
कब अच्छे दिन आएंगे।
भारत बाबू तेरी महिमा,
कब कविजन गा पाएंगे।।