चालान-ए-ज़बरदस्ती
चालान-ए-ज़बरदस्ती
ऐ! गाड़ी रोक,
बगल में खड़ी कर।
चालान कटा।
बेल्ट लगाया है कि नहीं
अच्छा बेल्ट तो लगाया है।
साहब से मिलो
गाड़ी के कागजात निकालो
बोलो साहब कौन-सा
आर. सी. दिखाओ।
ये है साहब लो, देखो।
अच्छा बीमा दिखाओ
ये है साहब लो, देखो।
ठीक है, सही है।
अच्छा प्रदूषण कार्ड है।
जी, हाँ! ये रहा साहब।
ड्राइविंग लाईसेंस?
वो भी है साहब ये रहा।
पीछे की सीट पर
कितने बैठे थे
दो, बैठे थे साहब।
लेकिन चालान तो...
कटवाना ही पड़ेगा।
अच्छा, कुछ सोचते हुए
पीछे की सीटबेल्ट नहीं
लगा रखी थी।
नहीं सर लगा रखी थी
बच्चे को उल्टी होने लगी थी
सो अभी हटा दिया था
कुछ भी हो
एक हज़ार का चालान तो
कटेगा ही।
उसने सोचा अभी गिड़गिड़ायेगा
तो पाँच सौ लेकर छोड़ दूँगा
पर ऐसा नहीं हुआ
गर्व के साथ एक आवाज आई
काट दो लेकिन..
पक्की रसीद बना दो
पैसा देश के खाते में जाना चाहिए
चालानकर्ता पुलिस
मजबूरी में और धीरे-धीरे पेन
लेकर रसीद बनाने लगा
चेहरे के भाव बता रहे थे
शायद गलत चालान की उसे
सही रसीद बनानी पड़ रही थी।