मैं ईर्ष्या हूँ।
मैं ईर्ष्या हूँ।
मैं ईर्ष्या हूँ।
जिस जिस ने मुझसे प्यार किया।
अंतस्तल पर उसके वार किया।।
धीरे धीरे बस में करके
चुपके चुपके संहार किया।।
मैं ईर्ष्या हूँ।
कोई ऐसा इंसान नहीं जिसको
मैंने बस में न किया हो।
क्या संभव है कोई जीव भी
बिन मेरे के कभी जिया हो?
मैं ईर्ष्या हूँ।
जल में, थल में और वायु में
बचा नहीं है कोई मुझसे।
कोई थोड़ा, कोई ज्यादा,
नहीं चाहकर चाहते मुझसे।।
मैं ईर्ष्या हूँ।
मेरी छोटी बहन है चिंता।
वह जिसके तन मन बस जाती।
सही मानिए एक दिवस वह
मरघट का है राह दिखाती।।
मैं ईर्ष्या हूँ।
जिसने हम दोनों को चाहा।
हमने उसको दिल में बसाया।
बीच राह में कभी न छोड़ा,
अंतिम पल तक साथ निभाया।।
मैं ईर्ष्या हूँ।
जब तक सृष्टि रहेगी तब तक।
अमर रहेंगी हम भी तब तक।
लोग हमें भले न चाहें,
सांस चलेगी रहेंगी तब तक।।
मैं ईर्ष्या हूँ।