तेरी बातों में!
तेरी बातों में!
तेरी बातों में,
कहीं मैं उलझ सा गया हूँ।
तेरी खामोश होठों पे यूँ
सिमट सा गया हूँ।
कहीं मुझमें, तू ज़िंदा है,
एक ख्याल बनके !
तेरी आहट कि कमी को
पहचान सा गया हूँ।
मरना भी एक मज़बूरी सा है
हालातों को देख अब
जीना सीख सा गया हूँ।

