रिश्ते
रिश्ते
रिश्तें कभी खत्म नहीं होते,
हाँ ! शायद कभी - कभी
प्रेम में नफरत की परत जम जाती है
जैसे एक कैनवास में
धूल कि परते जम जाती है।
शायद हम वक्त देना हि भूल जाते है
कुछ रिश्तों को,
कुछ वस्तुओं को,
कभी परखते हि नहीं
बस यूँ हि छोड़ देते है।
एक मात्र बात करने से,
कुछ पल उस सख्श के संग बैठने से
सब ठीक हो जाता है,
लेकिन यही ख़ामोश रहने से
दूरियाँ खुद ही बढ़ने लगती है।