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पंचम कुमार "स्नेही" ✍️

Abstract

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पंचम कुमार "स्नेही" ✍️

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अधूरा सफर

अधूरा सफर

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अंधेरों में जाना, मुश्किलो से टकराना,

मेरी ज़िन्दगी की मंजिल का, ना कोई ठिकाना।


बस एक तस्वीर है, कुछ यादों की,

पहली मुलाकातें और कुछ बरसातो की।


ये अधूरा सफर और अधूरी सी कहानी,

यही है मेरी इश्क़ की जिंदगानी।


कुछ लफ्ज़ों कि बातें, थोड़ी सी मुलाकातें,

इश्क़ बस नाम की थी, ना कोई शिकायतें।


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