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पंचम कुमार "स्नेही" ✍️

Inspirational

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पंचम कुमार "स्नेही" ✍️

Inspirational

सत्य

सत्य

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हर क्षण, चिन्तन में विलीन है मन,

इस दृश्य छलावे में अदृश्य है मन।

बता रहा है ये असभ्य मनुष्य,

तन-मन-धन ही है अपार सुख।

जीवन है या है ये कोई कल्पना,

मिथ्या है या मायाजाल

या है ये कोई सपना...!

सत्य कि खोज, हैं एक रहस्य,

जाना जिसने सत्य

हुए उनके शव, तहस नहस।

ये काल बड़ा अनोखी है,

काल का काल ना बता पाये

ऐसी यह पहेली है...!

साये कि तरह है ये द्विकाल,

मनुष्यो पर छाया है ये विकराल।

भविष्य कि ना कर तू चिन्तन,

ना कर बीते वक़्त में तू भ्रमण।

ये काल से घिरा संसार,

कभी ना खुल पाये राज़ इनके

मत पड़ तू इसमें बेकार।

यह संसार है एक वहम

वहम में पड़ा है सारा संसार,

सत्य कि चाह रख मन में

चाहना कुछ ओर ना मन में।

आत्मा से बड़ा ओर कुछ नहीं है 

इस तन-मन में...!

यही है अंतिम सत्य,

कर ले समाहित इन्हें

अपने अन्तरमन में...!



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