यादें!
यादें!
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कुछ वक़्त सा लगा
संवारने में,
खुद को उन यादों से
छुपाने में,
ज़िंदगी थोड़ी सहमी हुई,
शायद बीते वक़्त के जख्म
उभरने लगी,
जाऊं तो कहां...?
काश, दूरियों के साथ
यादें भी दूर हो जाते,
कुछ दर्द, कुछ लम्हे
काश वहीं ठहर जाते,
जो आए ना साथ कभी
उन यादों को वहीं छोड़ आते।
