छोड़ के बस्ता, चलो पकड़ लें, कोई बस, या रेलगाड़ी। छोड़ के बस्ता, चलो पकड़ लें, कोई बस, या रेलगाड़ी।
लेकिन यही ख़ामोश रहने से दूरियाँ खुद ही बढ़ने लगती है। लेकिन यही ख़ामोश रहने से दूरियाँ खुद ही बढ़ने लगती है।