Satish Chandra Pandey

Classics

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Satish Chandra Pandey

Classics

तेरे गुण बहुत अधिक है

तेरे गुण बहुत अधिक है

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मैं कवि नहीं हूं कविता

सौ कोस दूर मुझसे

कैसे बखान हो अब

तेरा स्वरूप मुझसे।


तेरे गुण बहुत अधिक हैं,

मेरे पास शब्द कम हैं

लय में भी आजकल कुछ,

बिखरी हुई चुभन है।


लेकिन जरूर इतना

चाहूंगा तुझसे कहना

तेरे बिना सभी कुछ

लगता है मुझको सूना।


तू है तो जिंदगी है,

तू है तो हर खुशी है

होने से तेरे घर में

छाई हुई हंसी है।


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