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Goldi Mishra

Abstract

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Goldi Mishra

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तेरा साथ

तेरा साथ

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190

थोड़ी थोड़ी कोशिशों से हमने तेरा साथ पा लिया,

अधूरा सा था ये रिश्ता हमने पूरा कर दिया,

कुछ अजीब सा रिश्ता बन गया,

शुक्रिया जो नाता तुमसे जुड़ गया,


मेरे हाथों में वो खुदा सारे जहां की खुशियां दे गया,

तुम मिले इस तरह जैसे सागर को किनारा मिल गया,

थोड़ी थोड़ी कोशिशों से हमने तेरा साथ पा लिया,

अधूरा सा था ये रिश्ता हमने पूरा कर दिया,


याद है मुझे वो तुम्हारे साथ पी थी जो नुक्कड़ वाली चाय,

शायद पहली बार इतनी सुबह पी थी मैंने चाय,

वो मौसम बेहतरीन उसपर हाथों में थी चाय,

आज भी याद है मुझे वो दुकान और अदरक वाली चाय,


थोड़ी थोड़ी कोशिशों से हमने तेरा साथ पा लिया,

अधूरा सा था ये रिश्ता हमने पूरा कर दिया,

इस खूबसूरत सफ़र के साथी हो तुम,

मेरे कदम जो थक जाए तो सहारा हो तुम,


एक नई दिशा हो तुम,

मेरे लिए एक पल नहीं पूरी ज़िन्दगी हो तुम,

थोड़ी थोड़ी कोशिशों से हमने तेरा साथ पा लिया,

अधूरा सा था ये रिश्ता हमने पूरा कर दिया,


ना जाने कब क्या हो जाए,

काश ये समा यही रुक जाए,

क्या पता कल सुबह आए ना आए,

क्या पता ये लम्हे फिर आए ना आए,


थोड़ी थोड़ी कोशिशों से हमने तेरा साथ पा लिया,

अधूरा सा था ये रिश्ता हमने पूरा कर दिया,

अब दुआ है कि दूरियां कभी आए ना,

जिस पल तू ना हो वो पल कभी आए ना,


तेरी आंखों में नमी कभी आए ना,

काश तेरे मेरे सफ़र का अंत कभी आए ना।


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