तेरा मेरा रिश्ता
तेरा मेरा रिश्ता
प्रिय ,
जानती हूँ मैं
और जानते हो तुम भी
कि ये जो माथे पर एक
धरती सी गोल बिंदी
धर ली है मैंने
इसके होने से या ना होने से भी
धरती नहीं हिलेगी हमारी
ये सिंदूरी रेखा मेरे केशों से उलझी हुई
हमारे बीच की कोई
रेखा तोड़ेगी ना जोड़ेगी
मेरी कलाइयों को घेरे हैं जो
ये हरे कांच की चूड़ियां
इनकी रुनझुन ज़रूरी नहीं है
हमारे जीवन की खनखनाहट में
ना ही पायल के घुँघरू
और बिछिया के छल्ले
कोई मियाद दे पाते हैं
साँसों की हलचल को
ये रहती हूँ जो मैं दिन दिन भर
भूखी और प्यासी
तुम्हारे लिए
और करती हूं इंतज़ार
उस चाँद का
जिसकी सतह का खुरदुरापन
छिपा नहीं है मुझसे
सब पता है मुझे फिर भी
करती हूँ या नहीं भी करती हूँ तो भी
मेरा ये विश्वास सदा अडिग है
कि तुम मेरे हो
सदा सदा के लिए
सात फेरों का फेरा ना हो तो भी
सातों जन्मों में है साथ हमारा
ज़रूरी नहीं है हमारे प्रेम को
इन जड़ प्रमाणों की
आत्मा में बसा चैतन्य प्रेम
बयां कर ही देता है
तेरा मेरा रिश्ता।